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वक्फ बोर्ड कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला अब तीन सदस्य होंगे गैरमुस्लिम
9/15/2025 4:08:46 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
New Delhi :
वक्त बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम अंतरिम फैसला सुनाया। पूरे वर्क बोर्ड कानून को रोकने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी अधिनियम पर रोक दुर्लभतम मामलों में ही लगाई जा सकती है। हालांकि अदालत ने कानून की कुछ धाराओं को फिलहाल निलंबित कर दी है। सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान जिसमें वह कोर्ट को सदस्य बनने के लिए कम से कम 5 साल तक का इस्लाम बुनियादी होना जरूरी बताया गया था उसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर अदालत ने कहा कि यह प्रावधान तब तक लागू नहीं होगी जब तक राज्य सरकारी या निर्धारित करने के लिए स्पष्ट नियम नहीं बनती है । कोई व्यक्ति इस्लाम अनुयायी है या नहीं । इसके अलावा कोर्ट ने धारा 3(74) से जुड़े राजस्व रिकॉर्ड के प्रावधान पर भी रोक लगाई ।अदालत ने स्पष्ट किया कि कार्यपालिका किसी व्यक्ति के अधिकारों का निर्धारण तब तक नहीं कर सकती जब तक राजस्व रिकॉर्ड पर अंतिम फैसला न हो। तब तक किसी भी वक्फ संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता हालांकि कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इस अवधि में किसी तीसरे पक्ष के अधिकार निर्मित नहीं होंगे। अपने अंतिम फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बोर्ड में 11 में से तीन अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। राज्यों में भी यही व्यवस्था लागू होगी इस प्रकार गैर मुस्लिम प्रतिनिधित्व सीमित करते हुए अदालत ने इसे बरकरार रखा है। वही इस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसके तहत सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि वक्फ संपत्ति सरकारी भूमि पर अतिक्रमण है या नहीं । गौरतलब है कि 22 मई को लगातार तीन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने संशोधन अधिनियम को मुसलमान के अधिकारों के विरुद्ध बताया और इस पर रोक लगाने की मांग की थी। वहीं केंद्र सरकार ने कानून का बचाव करते हुए तर्क दिया कि वक्फ इस्लामी अवधारणा जरूर है लेकिन यह धर्म की अनिवार्य हिस्सा नहीं है और इसे एक परोपकारी दान की तरह भी देखा जा सकता है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलित दी थी कि वक्फ इस्लाम ईश्वर को समर्पण है और अन्य धर्म की तरह यह केवल दान नहीं बल्कि धार्मिक आस्था अभिन्न हिस्सा है अब सुप्रीम कोर्ट ने इस अंतिम आदेश के बाद अगली सुनवाई में कानून संवैधानिक मेड़ता पर विस्तृत बहस होगी।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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