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भाजपा ने जदयू के साथ तोड़ दिया है बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्ता
 
 
बिहार परिपेक्ष में रणनीति एनडीए गठबंधन में बदलाव की 2025 की चुनाव में
 

10/16/2025 3:39:12 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Patna : बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति को इस बार बड़ा झटका भाजपा ने दी है। सीट बंटवारे में होने वाली विलंब इससे पहले ऐसी कभी नहीं हुई। गठबंधन के राजनीतिक दलों को इस बात की चिंता थी कि अगर संभावित सीट को प्रदर्शित किया गया तो इसका प्रतिकूल असर चुनाव परिणाम पर देखने को मिलेगा । इसमें सबसे अधिक नुकसान उन छूट भैये राजनीतिक दलों को है  जो कम सीट लेकर चुनाव मैदान में आकर निर्णायक की भूमिका निभाते थे । इस बार भाजपा ने प्रक्रिया में बदलाव लाया फलतः यही स्थिति "इंडिया" गठबंधन को भी अपनानी पड़ी। उसे भी यह भय सताने लगा कि अगर मीडिया ने संभावित सीट दिखानी शुरू कर दी तो जो जीत होनी मुश्किलें जाएगी । यही वजह है की अंतिम समय तक यानि नामांकन के पर्चा भरने तक प्रत्याशियों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई। इसको लेकर कई छूट भैये दल विदके भी लेकिन घटक के मुख्य दलों पर कोई असर नहीं आई। एनडीए के घटक दल जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को अपेक्षित सीट नहीं मिलने से उन्होंने नाराजगी भी दिखाई। लेकिन बाद में बड़ी सूझबूझ से उसे भाजपा ने सालटा लिया और चुनाव मैदान में वह चाह कर भी एनडीए गठबंधन के विरुद्ध कमर कसने की  क्षमता नहीं रखते हैं अर्थात इस प्रक्रिया में भाजपा ने एनडीए की पारंपरिक चाल में  में बदलाव ला दिया है । इससे आने वाले समय में गठबंधन की राजनीति को एक बड़ा सबक है। इससे छोटे-छोटे दल बनाकर निर्णायक की भूमिका कर निभाने वाले काफी  चिंतित है कि अब उनकी चाल कामयाब नहीं हो पाएगी। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा चाह कर भी अब बहुत अधिक एनडीए को नुकसान पहुंचा पाएंगे इसमें  शक है। इतना ही नहीं अपने इस कार्य शैली से भाजपा ने एनडीए में बड़े भाई और छोटे भाई का दायरा भी तोड़ दी है। विदित हो कि इससे पहले गठबंधन की राजनीति में लोजपा (रामविलास ) ने जदयू के नीतीश कुमार को एक बड़ा झटका  दिया था  जिसका बदला इस चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को देकर पूरी कर ली है। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय से चली आ रही जदयू के साथ बड़े भाई और छोटे भाई का संबंध है भी अब टूट गयी  है।  2025 की चुनाव में बिहार विधानसभा में भाजपा और जदयू बराबर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं ताकि परिणाम के बाद सरकार बनाने में जदयू की पूरानी रणनीति पर विराम लगे और भविष्य में इस प्रकार की प्रक्रिया बंद हो सके। 
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क