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क्यों बन गई महागठबंधन से महाठगबंधन , किसकी नजर लग गई राहुल और तेजस्वी की जोड़ी को ?
 

10/18/2025 2:58:01 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Patna : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में ठगबंधन की राजनीति चल रही है। कल तक महागठबंधन के दोनों मुख्य घटक दल राष्ट्रीय जनता दल से तेजस्वी यादव तथा कांग्रेस से राहुल गांधी रैली में एक साथ जनता के लिए प्रचार प्रसार करते दिख रहे थें लेकिन मौजूदा दौर में दोनों में खटास की स्थिति उत्कर्ष पर है। सीट बंटवारे में दोनों एक दूसरे के खिलाफ तलवार खींच कर आमने-सामने है । बिहार के पांच विभिन्न विधानसभा सीटों पर इन्होंने अपने-अपने प्रत्याशी देकर आमने-सामने की टक्कर की घोषणा कर दी है । ये ही नहीं टिकट में कांग्रेस ने सीट बंटवारे में वामपंथी दलों के साथ भी है शिकस्त देते हुए उनके क्षेत्र में अपने प्रत्याशी उतार महागठबंधन को ठगबंधन बना गठबंधन को चुना लगाया अर्थात बर्बाद किया। यहां भी कई अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस अपना प्रत्याशी देकर आमने-सामने की टक्कर की घोषणा कर महागठबंधन को फिर से तार तार कर दिया। ऐसे में अगर इसे महागठबंधन के बजाय महाठगबंधन कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मुख्य बातें यह भी है कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच यह दुश्मनी आखिर क्यों हुई ? और चुनाव परिणाम में इसका क्या असर होगा ? जबकि रैली में जुड़वा भाई सरीखे दिखतें थें आखिर इनके उस संबंध को किसकी नजर लग गई। एनडीए तो दोनों के हीं जानी दुश्मन हुआ करती थी। और बराबर के दुश्मन वाले आपस में मित्र हो जातें हैं और इनकी दोस्ती की भी नीव भी इसीसे पड़ी थी। ऐसा करके उन्होंने एक तरह से बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से वाक ओवर ले ली  है अर्थात मैदान छोड़ दिया है। जिसका भरपूर फायदा इस बार चुनाव मैदान में एनडीए को मिलना तय है। ऐसे में एक बार फिर भाजपा की वादे के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से बिहार में मुख्यमंत्री का पद संभाल सकतें हैं।  भाजपा ने मीडिया के बार-बार प्रश्न पर यह पेशकश जरूर की है कि सीट चाहे जिसे जितना आये एक बार  फिर से बिहार में उनका मुख्यमंत्री नीतीश ही होंगे। इसके पीछे भाजपा की एक चाल यह भी हो सकती है कि वह फिल्हाल बिहार के मुख्यमंत्री के विवाद में फंसना नहीं चाहती। पिछले चुनाव से उसका स्ट्राइक इसका सबूत है। अर्थात बिहार में भाजपा की शाख तो बढ़ हीं रही है जिससे पार्टी को भी नुकशान के बजाय फायदा हीं हो रही है। और इससे जदयू को कोई फर्क भी नहीं पड़ता है और ना हीं व्यक्तिगत रूप से नीतीश कुमार को। और वर्तमान समय में जदयू का मतलब एकमात्र नीतीश कुमार हीं बचे है जो बिहार में एकमात्र वाजिब राजनितिक हस्ती है।
 
 
 उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क