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तीरंदाजी में  गोल्ड जीत खूशी ले आई खूशी-- आइये जाने क्या और कैसे

29-05-22

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
धनबाद: तीरंदाजी आज एक लोकप्रिय और कमाऊ खेल बन चुका है। स्पोर्ट्स के रूप में तीरंदाजी का खेल आज एक अच्छा कैरियर अॉफर करता है । झारखंड में भी तीरंदाजी के खिलाड़ियों के प्रतियोगिता में जीतने पर सरकार प्रोत्साहन के तौर  पर काफी राशि पुरस्कार के रूप में देती है। 
 सन उन्नीस सौ में पेरिस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल के रूप में तीरंदाजी को अपनाया गया था ओलंपिक खेलों में तीरंदाजी में एक दूसरे से एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने वाले एथलीटों को एक ही कर्म धनुष तीर का उपयोग करना पड़ता है और लक्ष्य भेद के लिए प्रारंभिक बिंदु से 70 मीटर दूर लक्ष्य निर्धारित किया जाता है लक्ष्य में 10 संकेंद्रीत स्कोरिंग  रिंग बने होते हैं जिन्हें 5 रंगों में बांटा जाता है । मसलन आंतरिक सोने का रंग जिसे बुल्स आई कहते हैं । इसे भेदने पर  10 या 9 अंक मिलते हैं। लाल रंग के लिए 8 या 7 अंक मिलता है । नीला भेदने पर 6या 5 अंक , काला के लिए 4 या 3 अंक , सफेद के लिए 2 या 1 अंक मिलता है ।
आज दो तरह के आर्चरी  रिकर्व और कंपाउंड  खेल प्रचलित है। कंपाउंड में धनुष बड़ा और मॉडर्न होता है जबकि रिकर्व में धनुष सिंगल और पारंपरिक होता है ।
रिकर्व में जहां 70 मीटर की दूरी पर निशाना साधना पड़ता है वहीं कंपाउंड में 50 मीटर के दूरी पर निशाना साधना पड़ता है ।
झारखंड की स्टार तीरंदाज झानू  हांसदा और दीपिका महतो जैसे खिलाड़ियों को कौन नहीं जानता ।
बहरहाल, तीरंदाजी में झारखंड का नाम एक बार फिर चर्चा में है। झारखंड के धनबाद जिले के सिंदरी के कांड्रा बस्ती के 8 वर्षीय खुशी कुमारी महतो ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त कर पूरे राज्य का नाम रोशन किया है। मॉडल स्कूल डिगवाडीह की छात्रा खुशी चौथी कक्षा की छात्रा है और टाटा फीडर  से तीरंदाजी की प्रशिक्षण ले रही है।
 
कोयलांचल लाइव डेस्क