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प्रतिभाशाली बच्चों के लिए जी. वी. राघवन छात्रवृत्ति योजना बनेगी विश्व स्तरीय पहचान
4/19/2025 2:06:26 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
शुरू से हीं समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित जी वी राघवन ने न केवल झारखंड बल्कि राष्ट्रिय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाई है। आईआई टी (आई एस एम) धनबाद से लेकर कोल इंडिया तक इन्होने जो पहचान बनाई है। शायद यही वजह है कि न सिर्फ इंडिया बल्कि विश्व स्तर बेहतर तकनीक संस्थाओं के रूप में जाना जाने वाला आई आई टी (आई एस एम ) धनबाद ने उनकी स्मृति में आज अपने यहां के ऑडिटोरियम गोल्डन जुबली में कार्यक्रम आयोजित कर रही है। साथ हीं जी. वी. राघवन शताब्दी स्मृति छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ शनिवार, 19 अप्रैल 2025 को निर्धारित किया गया है । जिसकी शुभारम्भ पर संबंधित समझौता ज्ञापन (MoA) का औपचारिक आदान-प्रदान से किया गया। ज्ञात हो कि इसकी पहल 27/3/2025 को दिल्ली में हस्ताक्षर के माध्यम से हुई थी। इस कार्यक्रम में कोल इंडिया अध्यक्ष पी. एम. प्रसाद वर्चुअल माध्यम से न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे बल्कि उसे सम्बोधित भी करेंगे। विदित हो कि राघवन झारखंड के एक और छोटे शहर गिरिडीह को पांच दशकों से अधिक समय तक अपना घर और ‘कर्मभूमि’ बनाया। भाषा और रीति-रिवाजों की बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने क्षेत्र के वंचितों के उत्थान के लिए खुद को समर्पित कर दिया। गिरिडीह अभ्रक उद्योग का केंद्र था जो कोयला और इस्पात क्षेत्र में स्थित था। राघवन बाबू अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे। आजादी के बाद उन्होंने सबसे बड़े अभ्रक व्यापारिक घराने में काम किया, लेकिन मजदूरों को संगठित करने के लिए नौकरी छोड़ दी। इन वर्षों में वे मजदूर आंदोलन की अग्रणी आवाज के रूप में उभरे और उन्हें उचित मजदूरी, सुरक्षित कार्यकाल, कार्यस्थल पर सम्मान सुनिश्चित कराया।वे हिंद मजदूर सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे और शीर्ष समाजवादियों के मित्र थे। आपातकाल के दौरान उन्होंने गिरफ़्तारी दी। उन्होंने तमिलनाडु और आंध्र में सार्वजनिक बैठकों में जयप्रकाश नारायण (जेपी) के दुभाषिया के रूप में काम किया। इसके विपरीत, राघवन बाबू को विरोधी समूहों के बीच सामंजस्य बनाने की उनकी क्षमता के लिए व्यापारिक समुदाय और सरकार द्वारा स्वीकार किया गया और मान्यता दी गई। परिणामस्वरूप, उनकी पूर्ण निष्पक्षता और प्रखर निष्ठा ने उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों में सम्मान दिलाया। रोटरी के एक सक्रिय सदस्य और पूर्व जिला गवर्नर के रूप में, वे समाज के सुधार के लिए प्रतिबद्ध थे। अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ, जर्मनी आदि जैसे अन्य देशों में श्रमिक संघों के साथ उनके भाईचारे के संबंध थे। सबसे बढ़कर उन्होंने 'इंसानियत' को स्वीकार किया और उसका पालन किया। वह सभी के लिए उपलब्ध थे चाहे उनका धर्म, जाति, पंथ या वर्ग कुछ भी हो। निजी जीवन में, राघवन बाबू तपस्वी और अनुशासित थे। वह शिक्षा के बहुत बड़े उपासक थे, हालांकि वह खुद इससे वंचित थे। एक प्रभावशाली शारीरिक उपस्थिति के साथ धन्य, वह बहुत दयालु और उदार थे। उन्हें अपनी पत्नी पद्मवा का पूरा समर्थन प्राप्त था, जो तिरुपति में बालाजी मंदिर के संस्थापक थिरुमलाई नंबी की वंशज थीं। उनके परिवार को यकीन है कि वह आईआईटी में महिला छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के प्रस्ताव की सराहना करते। इधर आईआईटी में महिला छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के प्रस्ताव की सराहना करते। परिवार ने धनबाद में आईआईटी (आईएसएम) में 1 करोड़ रुपये का बंदोबस्ती बनाने का फैसला किया है।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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