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महज चर्चा के अभाव में दबी रही  बहुमुखी प्रतिभा की एक युवा कवयित्री सरिता सिंह

7/9/2025 4:16:34 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad: बहुमुखी प्रतिभा भी कभी-कभी चर्चा के अभाव में दबी रहती है। ऐसी ही प्रतिभा का एक स्वरूप है सरिता सिंह । झारखंड की जामताड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली सरिता सिंह का जन्म स्थान मैथन डीवीसी कॉलोनी रहा है। अपनी प्रतिभा के दम पर तथा धारदार लिखने के जरिए इन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है ।झारखंड की मिट्टी के लिए जानी जाने वाली सरिता सिंह की सोच , चिंतन, विचारधारा, निष्पक्ष, निर्भीक और प्रबुद्ध है ।साथ हीं इनका जीवन देश की मिट्टी को समर्पित बेहतरीन साहित्यकार के रूप में रही है। इनकी रचनाएं धर्मनिरपेक्षता अन्याय के खिलाफ शोषण के खिलाफ किसी भी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने में स्वतंत्र , निर्भीक और बेवाक है। एक छोटे से जगह से उठकर कवयित्री सरिता सिंह ने जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन साहित्य साधना में सम्मिलित इस युवा कवित्री को झारखंड में अपेक्षित स्थान नहीं मिला। यद्यपि उनकी कई उम्दा रचनाएं प्रकाशित भी हुई है और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने उनके काव्य संग्रह " मिट्टी बची रहे" का विमोचन भी किया था। यह पुस्तक साहित्य के क्षेत्र में सराहा भी गया। राजस्थान में इनके पुस्तक की काफी लोकप्रियता है लेकिन अफसोस कि इन्हें झारखंड में ही अपनी पहचान अब तक नहीं मिली। सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच के राष्ट्रीय संस्थापक आचार्य संजय सिंह चंदन ने ऐसी प्रतिभाशाली साहित्यकार को ढूंढ निकाला। उन्हें झारखंड के मुख्य साहित्य पटल में जोड़कर उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
 
 
कवयित्री सरिता सिंह ने मिट्टी को जिस ढंग से परिभाषित किया है वास्तव में आज की पूरी इस मिट्टी की माता को समझ नहीं पा रही है, उसे बखूबी अपनी लेखनी से सजाकर खूबसूरत शब्द श्रृंगार से परिभाषित करने के लिए आचार्य संजय सिंह "चंदन" ने "मिट्टी बची रहे" को सर्वश्रेष्ठ काव्य और शानदार पुस्तक बताया। जिसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम है। श्री चंदन लोकप्रिय कवित्री सरिता सिंह को उन्हें पुस्तक के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है।
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क