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Bihar Result: बिहार चुनाव में महागठबंधन का सबसे खराब प्रदर्शन, सीमांचल में भी पिछड़कर एनडीए आगे

11/15/2025 11:48:51 AM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
महागठबंधन कहां बिहार में सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठा था और कहां वह अपना सबसे खराब प्रदर्शन कर बैठा. महागठबंधन में शामिल सबसे प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस समेत सभी प्रमुख घटक दलों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा. राज्य में महागठबंधन का प्रमुख जनाधार यादव और मुस्लिम (M-Y) वोटर्स रहे हैं, लेकिन जिस तरह का परिणाम आया है उससे यही जाहिर होता है कि यह समीकरण भी अब इनके साथ नहीं रहा. हालत यह हो गई कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी इनका प्रदर्शन खराब रहा और खाता तक नहीं खुला। 
 
बिहार में गठबंधन की राजनीति के दौर में पिछले चुनाव (2020) में आरजेडी ने 243 सीटों में से 75 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार उसे 50 सीटों का नुकसान हुआ और महज 25 सीटें ही जीत सकी. कांग्रेस भी 19 में से 6 सीटों पर सिमट गई. अन्य सहयोगी दलों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ा है। 
 
सीमांचल में पिछड़ गया महागठबंधन
मुस्लिम बहुल क्षेत्र सीमांचल के चुनाव परिणाम पर सभी की नजरें रहती हैं. एनडीए का प्रदर्शन यहां पर फीका ही रहा है. 2020 में सीमांचल में पड़ने वाले 4 जिलों (पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज) की 24 सीटों पर एनडीए को भले ही सबसे अधिक 12 सीटें मिली थीं, लेकिन किशनगंज जिले में उसका खाता तक नहीं खुल सका था. यहां पर 4 सीटें आती हैं जिसमें 2 महागठबंधन को तो 2 सीटें अन्य (AIMIM) के खाते में गई थीं, लेकिन एनडीए 0 पर रहा था। 
 
इस बार जब चुनाव परिणाम आया तो एनडीए ने 24 में से 14 सीटें झटक ली थीं. पिछली बार की तुलना में उसे 2 सीट का इजाफा हुआ. महागठबंधन सीमांचल में 5 सीटों पर सिमट गई जबकि 2020 में उसे 7 सीटें मिली थीं. 2015 में सीमांचल में महागठबंधन के खाते में 18 सीटें आई थीं, जबकि एनडीए को 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और वह किशनगंज में खाता भी नहीं खोल सकी थी.
 
ओवैसी की AIMIM ने बिगाड़ दिया खेल
पिछले चुनाव की तरह असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने इस बार भी पिछला प्रदर्शन दोहराया और 5 सीटों पर कब्जा जमा लिया, जिसमें सभी सीटें सीमांचल में ही मिली थीं. AIMIM ने जोकीहाट, बहादुरगंज, अमौर, बैसी और कोचाधामन सीट पर जीत हासिल की है.
 
16 जिलों में खाता नहीं खोल पाया महागठबंधन
हालांकि महागठबंधन के लिए यह चुनाव किसी बुरे सपने की तरह रहा. एनडीए का 2020 के चुनाव में जहां बिहार के 8 जिलों में खाता नहीं खुला था, तो वहीं इस बार महागठबंधन का इससे डबल यानी 16 जिलों में खाता तक नहीं खुल सका. 7 या उससे अधिक सीटों वाले भोजपुर (7), नालंदा (7), भागलपुर (7) और दरभंगा (10 सीटें) भी वह अपने लिए एक सीट भी हासिल नहीं कर सकी.
 
जिस तरह के चुनाव परिणाम आए हैं वो इस ओर इशारा करते हैं कि आरजेडी और कांग्रेस से मुस्लिम वोटर्स लगातार दूर होते जा रहे हैं. मुस्लिम बहुल क्षेत्र सीमांचल में ही 2015 में 24 में 18 सीटें अपने नाम करने वाला महागठबंधन 5 सीट पर ही थम गया और किशनगंज में खाता भी नहीं खोल पाया. हालांकि 2015 में महागठबंधन में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भी शामिल था.
 
सीमांचल के पूर्णिया में महागठबंधन 0
2025 के चुनाव में सीमांचल के पूर्णिया जिले में महागठबंधन को 7 में से एक भी सीट नहीं मिली. 6 सीटों वाले अररिया में में वह 3 सीटें जीतने में कामयाब जरूर रहा, लेकिन कटिहार (7 सीट) और किशनगंज (4 सीट) में 1-1 सीट ही अपने नाम कर सका. कुल मिलाकर उसके खाते में 5 सीटें ही आईं.
 
किशनगंज में 10 साल के खाता खोलने का इंतजार कर रहे एनडीए ने 4 में से 1 सीट अपने नाम की तो अररिया (6 में से 2 सीट), पूर्णिया (7 में से 5 सीट) और कटिहार (7 में से 6 सीट) में भी अच्छा प्रदर्शन किया। 
 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क