Date: 15/09/2025 Monday ABOUT US ADVERTISE WITH US Contact Us

बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि से पहले हीं सीट बंटवारे पर एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन में ठनी

9/14/2025 4:06:22 PM IST

30
कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : बिहार विधानसभा  चुनाव को लेकर एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन मे दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। चुनाव जीतने में तिजारत हासिल करने वाले अपने स्वर्गीय पिता रामविलास पासवान के नक्शे कदम पर चिराग पासवान ने सीट बंटवारे में संतोषजनक नहीं दिखने की स्थिति में अलग रास्ता चुनने की घोषणा कर दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि बिहार में एनडीए का हिस्सा लोजपा (रामविलास) नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि बिहार में  लोजपा  (रामविलास ) एनडीए पर सीट प्रेशर  बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि क्या वास्तव में चिराग का यह गुस्सा स्थाई है ? चिराग जानते हैं कि बिना किसी बड़े पार्टी के वह दल को लेकर वह आगे ज्यादा दूर नहीं चल सकेंगे। यह स्थिति केवल एनडीए में नहीं है इंडिया गठबंधन भी इससे अछूता नहीं है । पिछले कई बिहार विधान सभा चुनावों में  बारम्बार  पिट रही  इंडिया गठबंधन की मुख्य दल कांग्रेस टिकट राजद के साथ समझौता करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे  में सीट बंटवारा के मामले में उसका राष्ट्रीय जनता दल के साथ  ठन गई है। यानी चुनाव की तिथि घोषणा गठबंधनों का सीट आवंटन से पहले हीं प्रेसर की राजनीति शुरू हो गई है। हालांकि अभी भी बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि तक की घोषणा नहीं हुई है। सीट बंटवारा तो उसके बाद की बात है तो पिछले और बिहार विधानसभा चुनावों का परिणाम देख लें कि यहां की चुनावी दंगल में किसका क्या बल रहा है। जहां तक विधान सभा चुनावों की बात है तो भाजपा इस फैक्टर को मुद्दा हीं नहीं बनाती। पिछले दिनों दिल्ली सहित अन्य राज्यों में हुए चुनाव इस बात के उदाहरण है।  अगर पिछला विधानसभा चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा को फर्क नहीं पड़ता कि वह लोजपा (रामविलास )के साथ मिलकर लड़ेगी या अकेला लड़ना पसंद करेगी क्योंकि अकेला चलकर भी भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में बुलंदी का झंडा दिखाकर अपनी पहचान बता चुकी  है। लेकिन यहां महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अगर चिराग पासवान एनडीए से नाता तोड़ देते हैं तो केंद्रीय स्तर पर जो साख उनकी बनी है उसका क्या होगा ? और एनडीए से नाता तोड़कर वह आगे अपनी पार्टी कितनी ऊंचाई तक ले जा सकेंगे ? चिराग का मानना है कि उनके दल की पहचान बिहार से है और इस मामले में वह कोई कोताही नहीं कर सकते । भले ही केंद्र में मंत्रिमंडल से तौबा करना पड़े। हो सकता है कि चिराग का यह गुस्सा केवल चुनाव को लेकर होगा।  विधानसभा चुनाव के बाद वह फिर से वही राग अलापेंगे जो अब तक अलापतें आए हैं। इस प्रकार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में मुख्यमंत्री पद पर काबीज होने के लिए अब दबाव की राजनीति एनडीए और इंडिया दोनों में ही चल रही है। अस्थाई ही सही लेकिन वर्तमान में नेताओं का यह बयान को लेकर इंडिया गठबंधन के आला नेताओं की भी चैन हराम हो गई है। जबकि छटपटाहट बिहार की एनडीए में भी स्पष्ट दिखाई पड़ रही है। लेकिन राजनीतिक परखी रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में बिल्कुल निश्चिंत है कि बिहार विधानसभा चुनाव का प्रेशर उनके सत्ता में बने रहने में कभी भी मुश्किल खड़ी नहीं कर पाएगी। भाजपा ने विधानसभा चुनावों  में कभी भी कोई चेहरा सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ा है। यह बात पिछले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव से स्पष्ट है ना दिल्ली में ना यूपी में कहीं भी पहले से चेहरा मुख्यमंत्री का नहीं दिखाया गया था लेकिन जो भी निर्णय हुआ उसे  सर्वमान्य मान लिया गया। अगर  गतविधियों  पर नजर दौड़ाएं तो कांग्रेस जैसे-जैसे कमजोर हो रही है उसकी निर्णय क्षमता भी कमजोर पड़ती जा रही है। चिराग पासवान ने भी केवल बिहार में ही एनडीए से बाहर रहने की बात की है।
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क