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जनजातीय हिजला मेला का शानदार आगाज, समां बांध रहे लोक कलाकार 

17-02-2024 14:10:14 IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team

Dumka : संथालपरगना की संस्कृति को बिखेरती एक सप्ताह तक चलने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव-2024का रंगारंग आगाज हो चुका है. 16 फरवरी को हिजला गांव के ग्राम प्रधान सुनीराम बेसरा ने फीता काटकर मेला का उद्घाटन किया. इस मेले की शुरुआत 1890में हुई थी. उस समय से हर वर्ष यह मेला लगता रहा है. यह मेला 16 से 23 फरवरी तक चलेगा.

पहले यह सिर्फ हिजला मेला के नाम से जाना जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ इसका नामकरण जनजातीय हिजला मेला महोत्सव किया गया. मयूराक्षी नदी के तट पर मेला उद्घाटन के समय पारम्परिक वाद्य यंत्रों की धुन लोगों के उत्साह को बढ़ा दिया. रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम नटवा, छऊ और संथाली नृत्य देखकर दर्शक झूम उठे. अलग-अलग नृत्य पेश करने वाले कलाकार पूरे एक सप्ताह दर्शकों का मनोरंजन करेंगे.

इस अवसर के गवाह जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी बने. मेला में लोगों को जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों की प्रदर्शनी लगाई गई है.

1890में ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर आर कास्टेयर्स ने हिजला मेला की शुरुआत की थी. उस वक्त संथालपरगना एक जिला हुआ करता था, जिसका मुख्यालय दुमका था. 1855में संथाल हूल क्रांति से अंग्रेज भयभीत हो गए. उन्हें लगने लगा कि संथाल आदिवासियों का विश्वास जीतना जरूरी है. कास्टेयर्स ने इस मेले की शुरुआत की.

मेला क्षेत्र दुमका शहर से करीब 4 किमी. दूर मयुराक्षी नदी के तट पर हिजला पहाड़ी के निकट है. एक तरह से कहा जाए तो यह मेला जनजातीय समाज का सांस्कृतिक संकुल है. मेला में सातों दिन कलाकार रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं. पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे सिंगा-सकवा, मांदर व मदानभेरी की गूंज सुनाई पड़ती है.

झारखंडी लोक संस्कृति के अलावा अन्य प्रांतों के कलाकार भी अपनी कला का यहां प्रदर्शन करने आते हैं. बदलते समय के साथ इस मेले को और ज्यादा आकर्षक बनाने की कोशिश लगातार जारी है.

यदि आप लोक-संस्कृति और लोक संगीत सुनना पसंद करते हैं तो एकबार हिजला मेला जरूर जाएं. यहां आप प्रकृति के शाश्वत संगीत में डूब जाएंगे.

दुमका से कोयलांचल लाइव के लिए विजय तिवारी की रिपोर्ट