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जामताड़ा में प्रत्याशियों का किस्मत ईवीएम में कैद , 23 को खुलेगा राज ,अनुमानों का बाजार गर्म
11/21/2024 3:16:47 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Jamtada :
झारखंड विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण का मतदान हो चुका है जिसके बाद अब जनता के बिच सिर्फ और सिर्फ जीत हार को लेकर कयास भर लगाएं जा रहें हैं। मतदाताओं ने प्रत्याशियों की जीत हार का निर्णंय ई वी एम में कैद कर दी है जो राज आगामी 23 नवम्बर को सामने आएगा। केवल मतदान की प्रतिशतता को आधार बनाकर आशंकाएं भर व्यक्त की जा रही है। अविभाजित बिहार में जब यह दक्षिण बिहार कहलाता था उस समय से हीं जामताड़ा की राजनीति राज्य की राजनीति अहम भूमिका निभाती रही है। विशोम गुरु शिबू सोरेन ने यहीं के कंचनबेरा गाँव से अपनी चर्चित महाजनी प्रथा के खिलाफ यहीं से विरोध प्रदर्शन शुरू की थी। इस क्षेत्र की जीत हार राज्य की दशा और दिशा निर्धारित करती रही है। जानकारों का मानना है कि इस बार यहां का चनाव परिणम कुछ अजुबा होने केआशार हैं। अनुमान लगाया जा रहा है इस क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है इसबार यहां आदिवासी मतदान में विखराव का अनुमान लगाया जा रहा है। हलांकि क्या होगा यह सब अभी तक महज अनुमान भर है। ग्रामीण मानते हैं कि पहली बार इस गांव में झामुमो समर्थित इंडी गठबंधन के अलावा भारतीय जनता पार्टी को भी अच्छा खासा वोट मिला है। कंचनबेड़ा, शिवलीबाड़ी, लादना जैसे बड़े गांव में भी शिबू सोरेन की बड़ी बहू को ग्रामीणों ने वोट दिया। अब तक के चुनाव में देखा गया है कि अल्पसंख्यक गांव में हर बार बंपर वोटिंग होती है और उसका अधिकांश वोट एक ही पार्टी को जाता है। लेकिन इस बार के चुनाव में यह देखा गया कि अल्पसंख्यक बहुल गांव में भी वोटिंग का प्रतिशत न सिर्फ कम रहा, बल्कि वहां वोटों में बिखराव का अनुमान है। यही कारण है कि सोशल मीडिया में भी जामताड़ा विधानसभा के सबसे बड़े अल्पसंख्यक बहुल गांव चेंगाईडीह में कम वोटिंग और वोटों के बिखराव की चर्चा हो रही है। यही नहीं दीघारी, चैनपुर, चिरूडीह जैसे गांव के लोगों में वोट को लेकर पूर्व की तरह उत्साह और मतदान को लेकर उग्रता नहीं देखी गई। ठीक इसके विपरीत सामान्य जाति वाले गांव में अन्य बार की तुलना में वोटिंग करने के लिए लोग ज्यादा उत्सुक और गंभीर दिखे, जिसका परिणाम है कि जामताड़ा में अच्छी पोलिंग हुई। अक्सर ऐसा माना जाता रहा है कि शहरी वोटर भाजपा का वोटर रहता है। लेकिन जामताड़ा और मिहिजाम शहर में पिछली कई चुनाव से वोटो का बिखराव देखा गया। लेकिन काफी दिनों बाद शहरी वोटरों में भी एक जुटता दिखाई दी। शहर के अधिकांश बूथों पर एक पक्ष में ही लोगों को गोलबंद होते देखा गया। इस बार के चुनाव में लोगों में इस बात की चर्चा जोरों से थी कि वोट बर्बाद नहीं करेंगे। यही कारण है कि चुनाव में भाजपा और इंडिया गटबंधन के बीच सीधी टक्कर रही। वैसे तो जामताड़ा विधानसभा सीट से कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वोटिंग के मामले में दो को छोड़ अधिकांश काफी पीछे नजर आए और शायद ही उन लोगों की जमानत भी बच सके। अंततः यहां चुनाव परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा यह सब भविष्य की गोद में है। सभी दलों की नजर अपने लिए जनता की तोजोरी में कैद है।
जामताड़ा से कोयलांचल लाइव के लिए निशिकांत मिस्त्री की रिपोर्ट
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