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फिल्म वनवास की रिलीज़ के बाद सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक गिफ्ट डीड मामले पर फैसला
1/11/2025 3:10:38 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad
: भारतीय सिनेमा ने एक बार फिर अनिल शर्मा की फिल्म वनवास के साथ बदलाव की शुरुवात की है, जो अपने परिवार द्वारा त्याग दिए गए बुजुर्ग व्यक्तियों के संघर्ष पर प्रकाश डालती है। इसकी रिलीज़ के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायालय ने निर्णय लिया है कि यदि कोई बुजुर्ग महिला अपने बेटे के पक्ष में उपहार विलेख बनती है तो उसे रद्द किया जा सकता है, यदि वह उसकी देखभाल करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहता है। यह ऐतहासिक फैसला माता - पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण - पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 को लागू करने के महत्व को रेखांकित करता है, जो वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून है। शर्मा की वनवास भारत के बुजुर्गों द्वारा अनुभव की जाने वाली कठिनाइयों का एक गहरा भावनात्मक चित्रण प्रस्तुत करती है, उपेक्षा, मनोभ्रंश और अन्य आयु - सम्बन्धी मुद्दे शामिल हैं। इस फिल्म ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के बारे में महत्वपूर्ण चर्चा शुरू करने की एक पहल की हैं और सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस चल रही बातचीत में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 20 दिसंबर 2024 को रिलीज़ हुई यह फिल्म जिसमें मुख्या भूमिका में नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा, खुशबू, सिमरन कौर, अश्विनी कलसेकर और राजेश शर्मा है। वनवास एक परिवार के भीतर भावनात्मक गतिशीलता की खोज करती है। यह फिल्म एक बुजुर्ग(नाना पाटेकर ) के इर्द -गिर्द घूमती है जो Dementia से पीड़ित है और अपने ही परिवार के द्वारा त्याग दिया जाता है। इस फिल्म ने कई लोगों के दिलों को छुआ है। यह फिल्म जनता और नीति निर्माताओं दोनों को समाज के सबसे कमजोर सदस्यों, खास कर बुजुर्गों के प्रति अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
कोयलांचल लाइव डेस्क
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