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माता - पिता ने बेटी के जन्म पर ऐसी मनाई जश्न ...

7/9/2025 11:20:30 AM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Edited By Sanjana Singh
 Aurangabad : बेटी बोझ नहीं, बल्कि लक्ष्मी है" यह एक बहुत ही सकारात्मक और महत्वपूर्ण संदेश है जो बेटियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने की बात करता है। इसका मतलब है कि बेटियों को बोझ नहीं समझना चाहिए, बल्कि उन्हें घर में लक्ष्मी के समान सम्मान और महत्व देना चाहिए। यह सोच न केवल बेटियों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बेटियां घर में खुशहाली और समृद्धि लाती हैं। 
 
यह विचार कई मायनों में महत्वपूर्ण है: 
समानता : यह सोच लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है। यह दर्शाता है कि बेटियां बेटों से कम नहीं हैं और उन्हें भी समान अवसर और सम्मान मिलना चाहिए।
सशक्तिकरण : बेटियों को बोझ समझने की बजाय, उन्हें लक्ष्मी के रूप में देखना उन्हें सशक्त करता है। यह उन्हें आत्मविश्वास देता है कि वे भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
खुशहाली : यह सोच घर में सकारात्मकता और खुशी लाती है। जब बेटियों को सम्मान और प्यार मिलता है, तो वे भी अपने परिवार के लिए खुशहाली और समृद्धि लाती हैं।
सामाजिक परिवर्तन: यह सोच समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बदलने में मदद करती है। यह लोगों को यह समझने में मदद करता है कि बेटियां भी घर और समाज के लिए एक संपत्ति हैं, बोझ नहीं।
यह सोच न केवल एक वाक्यांश है, बल्कि एक मानसिकता है जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। बेटियों को बोझ समझने की बजाय, हमें उन्हें लक्ष्मी के समान सम्मान और महत्व देना चाहिए
 
जहानाबाद से कोयलांचल लाइव के रुपेश की रिपोर्ट