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 15% छात्र कर चुके नशा, असल संख्या छिपाने से और अधिक होने की आशंका

12/10/2025 1:30:11 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
देश में ड्रग्स और नशे की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. हालत यह है कि कम उम्र के बच्चे भी इसके चपेट में आ रहे हैं. देश के 10 शहरों में किए गए एक बड़े स्कूल सर्वे से यह बात सामने आई है कि बच्चे अपनी उम्र से कहीं पहले ही ड्रग्स का इस्तेमाल शुरू कर रहे हैं, और इनकी औसत उम्र महज 12.9 साल है, जबकि कुछ तो सिर्फ 11 साल की उम्र में ही नशा करना शुरू कर देते हैं. यह संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि अधिकतर बच्चों ने बताया कि नशे को लेकर वो गलत जवाब देंगे। 
 
दिल्ली-रांची-लखनऊ समेत इन 10 शहरों में सर्वे
नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ़ इंडिया में इस महीने छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, हर सात में से एक स्कूली छात्र कम से कम एक बार साइकोएक्टिव पदार्थ का सेवन कर चुका होता है. इस स्टडी में राजधानी दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, मुंबई, चंडीगढ़, हैदराबाद, लखनऊ, इंफाल, जम्मू, डिब्रूगढ़ और रांची के करीब 14.7 साल की उम्र के 5,920 छात्रों को शामिल किया गया। 
 
15 फीसदी छात्र कर चुके हैं नशा
रिसर्च में पाया गया कि इनमें से 15.1% छात्रों ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी नशीले पदार्थ का सेवन किया था, इसके अलावा 10.3% ने पिछले साल और 7.2% ने पिछले महीने ही यह नशा लिया था. तंबाकू (4%) और शराब (3.8%) के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ ओपिओइड (2.8%), भांग (2%) और इनहेलेंट (1.9%) थे, जिसमें ज्यादातर ओपिओइड (Opioid) का इस्तेमाल बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों के रूप में किया गया था.
 
मल्टी-सिटी स्टडी दिल्ली स्थित AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की प्रमुख डॉक्टर अंजू धवन ने चंडीगढ़, डिब्रूगढ़, लखनऊ, बेंगलुरु, श्रीनगर, मुंबई, इंफाल, हैदराबाद और रांची के मेडिकल कॉलेजों के सहयोग से किया. रिसर्च में यह बात सामने आई कि कक्षा 11-12 के छात्रों में कक्षा 8 के छात्रों की तुलना में पदार्थों का इस्तेमाल करने की यह संभावना दोगुनी थी. इन लड़कों में तंबाकू और भांग का इस्तेमाल ज्यादा पाया गया, जबकि लड़कियां भी इस मामले में पीछे नहीं रहीं और उनके शरीर में इनहेलेंट और फार्मास्युटिकल ओपिओइड का इस्तेमाल ज्यादा मिला था। 
 
आधे से ज्यादा छात्रों का दावा- नशे की बात छुपाएंगे
हालांकि सर्वे के दौरान यह बात भी सामने आई कि आधे से ज्यादा छात्रों ने बताया कि अगर उनसे पूछा गया तो वे ड्रग्स लेने या नशाखोरी करने बात को छिपाएंगे, जिससे पता चलता है कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क