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नहीं रहे मगही की शान कवि रामपुकार सिंह राठौड़--आकाशवाणी और मंचों पर रहे सक्रिय

23-05-2022

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
गया/नवादा: हिंदी और मगही के लोककवि रामपुकार सिंह राठौड़ का निधन हो गया है। मगही के कबीर नाम से प्रसिद्ध रामपुकार सिंह की मगही कविताओं का दौर सन 1960 से जीवनपर्यन्त चलता रहा। परिवार के नाम पर  उनकी  एकमात्र  पुत्री थी, जिनका देहांत हो चुका है।  अपने जीवन काल में ही उनके  कई काव्य संग्रह छपे  जिसमें अंजन, त्रिवेणी, रामबेला जैसी  कई प्रमुख पुस्तकें हैं जो रामबेला विश्वविद्यालय में पढ़ाई  जाती  है।
उन्होंने आकाशवाणी के माध्यम से लोगों तक अपनी मगही रचनाओं को प्रस्तुत किया और साथ ही कविता पाठ के मंचों पर भी खूब सक्रिय रहे। मगही रचनाकारों में उनकी एक अलग पहचान थी। साहित्य कुंज औरंगाबाद व गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन व जिला प्रशासन गया की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया । उनकी एक रचना 'अरघ का दिया'  अप्रकाशित रह गई। वे मगही क्षेत्र के मगही कवि समारोहों की शान तो थे ही अन्य समारोहों में भी उन्हें बुलाकर रचनाओं को सुनाने का निवेदन लोग करते रहते थे।
उनकी कविता की एक बानगी आप भी पढ़िए-- 'सीधा के सतुआ बनैलक शैतान
जान सांसत में पड़लै औ छछने परान' ।
 
कोयलांचल लाइव डेस्क