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जमशेदपुर में उपजने लगा बिना पानी बिना खाद के थाईलैंड का घास 

8/6/2024 1:13:35 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Jamshedpur : झारखंड प्रदेश के जमशेदपुर में पहली बार थाईलैंड के घास की हो रही खेती जिसे किसान एक बार लगा लगभग दस वर्षों तक कमा सकेगा मुनाफा। जल जंगल ,पहाड़ वाले इस राज्य में किसानों की एक बड़ी चिंता रहती थी कि वर्षा ऋतु में वर्षा कब होगी और हम अपने खेतों की सिंचाई कर फसल लगा सकेंगे। जहां एक और चिंता बना रहता था कि अगर फसल अच्छी नहीं हुई जिसमे कोई बीमारी लगा और उपज का नुकसान हो गया तो क्या होगा कैसे परिवार का आर्थिक संकट से उभर सकेंगे। जिस चिंता से निजात पाने के लिए जमशेदपुर,पटमदा का एक किसान धान,गेहूं,मक्का,और हरी शब्जियों का खेती ना कर हल्की पानी में लगभग 30 बिगहा में इस थाईलैंड का घास का वह भी बिना रासायनिक खाद के उपजने में जुटा है। जिसे मवेशियों का चारा के रूप में इस्तमाल किया जाता है । इस खेती को एक प्रयोग में ले गोपेन कर्मकार बताते है इस घास की उपज बहुत ज्यादा है जिसमे मेहनत कम है जिसे एक बार लगा दस वर्षों तक काट सकते है जिसके जड़ से फिर यह घास कुछ माह में निकल पड़ता है जिसको शहर के गौ शाला और आम पशु पालन करने वालो के यहां ऑडर पर भेजा है जिसकी एक बोझा की कीमत मात्र 4 से 5 रुपया है इस लंबी घास की खासियत है कि जो गाय 2 लीटर दूध देती है वह इस घास को चारा बनाने के बाद 4 लीटर दूध देना सुरु कर देती है कारण इसके पत्तों में काफी मात्रा में मवेशियों के लिए विटामिन और प्रोटीन होता है ।  किसान बताता है कि इस किसानी से जिला कृषि विभाग काफी मदद कर रहा है। जिसके बदौलत जिला सरायकेला उपायुक्त ने हमें लगभग 95 एकड़ जमीन मुहैया करवाने का आश्वासन दे रखा है। जिसमें इस थाईलैंड की घास की खेती करनी है । बड़ा सवाल यह है कि यहां की जलवायु और अपनी आर्थिक कमजोरी के साथ आखिर कब तक आने खेतों  मात्र प्रयास करता रहे। इस तरह नए प्रयोग कर अपना जीवन स्तर कियू ना सुधार ले,शायद यह सफल प्रयास है। अब देखना यह भी होगा कि इस तरह के बिना पानी और बिना खाद के खेती से इस किसान का नसीब कब तक बदल जाता है ।
 
जमशेदपुर से कोयलांचल लाइव के लिए मोहम्मद अकबर कि रिपोर्ट