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ऐन चुनाव के समय महिलाओं को आर्थिक राशि बांटना कितना न्याय संगत ?
 

12/29/2024 3:19:45 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad  : ऐन चुनाव के समय महिलाओं को राशि बांटने की प्रक्रिया लोकतांत्रिक प्रणाली में निर्वाचन आयोग के पैमाने पर कहां तक न्यायोचित है ?इस प्रकार की प्रक्रिया  बेहद चिंतादायक है। बीते झारखंड में विधानसभा चुनाव में हेमंत सरकार ने "मईया सम्मान योजना" के तहत महिलाओं को 1000 रुपए दिए  थें । जिसे  चुनाव जीतने के बाद बढ़ाकर 2500 रुपए कर दी गई। ऐसे में चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा की गई तमाम चतुराई धरी की धरी रह गई। राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए की कार्यशैली को मोड़ते हुए झारखंड विधानसभा क्षेत्र  में एनडीए पिछड़  गई और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार बना ली ।नए वर्ष 2025 में  आगामी फरवरी माह के अंदर दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है। जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने भी बिल्कुल झारखंड के तर्ज पर महिलाओं को सम्मान योजना के तहत 1000 रुपए की राशि बांटने जा रही है।  जिसके लिए बतौर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। लेकिन इस प्रकार की योजना में रजिस्ट्रेशन के जरिए राजनीतिक दल इसमें अपना वोट बैंक को मजबूत करती है और चुनाव मे बाजी मारने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखती। ऐसे में यह प्रक्रिया चुनाव जीतने की प्रक्रिया बनती जा रही है।  लेकिन आम निर्वाचन के दृष्टिकोण से यह प्रक्रिया कितनी न्याय संगत है इसकी आकलन होनी चाहिए। हालांकि दिल्ली में संबंधित चुनाव  जीतने की इस प्रक्रिया पर ग्रहण लगने के आसार हैं। आम आदमी पार्टी के इस प्रक्रिया के खिलाफ भाजपा ने मोर्चाबंदी करनी शुरू कर दी है। लेकिन सवाल यह है कि जब यह प्रक्रिया झारखंड में तथा अन्य प्रांत में जब हो सकती थी तो फिर दिल्ली में क्यों नहीं? इसको लेकर राजनीतिक हलके में हंगामा होना शुरू हो चुका  है। लेकिन अंतिम दौर में स्थिति क्या होगी यह अभी तक असमंजस में है। दिल्ली में इस बार का विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण होने के आसार है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का वोट पाकर आम आदमी पार्टी में दिल्ली में चुनाव में सफलता पाई थी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से पहले कांग्रेस की सरकार थी तथा मुख्यमंत्री शीला दीक्षित हुआ करती थी। दिल्ली में कांग्रेस  की स्थिति यह है कि इस बार फिर वह दिल्ली चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है।इधर आम आदमी पार्टी भी पुनः वापसी के लिए पूरा दम लगाए हुए हैं। दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए भाजपा भी कमर कसी हुई है ऐसे में स्थिति काफी चुनौती पूर्ण हो गई है। मईया सम्मान योजना के तर्ज पर ऐन चुनाव के समय इस तरह की योजना को लेकर भी सवाल पर सवाल उठने लगे हैं। निर्वाचन आयोग जहां कम खर्च पर आम चुनाव कराने की सिद्धांत पर चलती है। ऐसे में महिलाओं को चुनाव के समय आर्थिक लाभ देने की इस  प्रथा पर सवाल उठना स्वभाविक है। बदलते दौर राजनीतजक परिदृश्य समय के अनुसार पलट रहा है सभी समय पर अपनी अधिकार के अनुरूप पद का फायदा उठाते हुए लाभ उठाने में लगें हैं। मिल गई तो ठीक और अगर नहीं भी मिली  तो भी ठीक है। बिलकुल उसी कहावत की तरह कि  "मिली तो मारी, ना हीं तो बालब्रम्हचारी "। 
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क