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झारखंड में डुएल इक्विवेलेंट पॉलिसी 8 साल से प्रतीक्षा की बाट जोह रहा है
4/27/2025 3:23:57 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
रोजगार किसी भी सेक्टर में सबसे महत्वपूर्ण होता है लेकिन झारखंड में डुयेल इक्विवेलेंट पॉलिसी पिछले 8 साल से प्रतीक्षा की बाट जो रहा है। बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश ,गुजरात, हरियाणा सहित देश के अन्य राज्यों में यह पॉलिसी अमल में लाया जा चुका है लेकिन झारखंड में इस मामले में तमाम प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद संबंधित प्रक्रिया 8 साल से प्रतीक्षा की बाट जो हो रहा है । इस प्रक्रिया की पूरा न होने से हर वर्ष झारखंड के गरीब छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
क्या होती है यह प्रक्रिया :
इस प्रक्रिया में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएं अगर चाहे तो शैक्षणिक क्रिया के साथ-साथ तकनीकी रूप से आईटीआई के जरिए अपने को रोजगार के लिए निखार सकते हैं। तात्पर्य है की मैट्रिक पास विद्यार्थी आईटीआई के माध्यम से तकनीकी शिक्षा प्राप्त करके अपने को रोजगार के लिए तैयार कर सकता है। इसके फायदे यह होंगे अगर आप रोजगार के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आईटीआई की शिक्षा आपके लिए वरदान बनेगी और अगर आगे की शिक्षा लेना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपके समक्ष विकल्प खुला रहेगा। सर्वप्रथम देश का विकसित राज्य गुजरात में इसे अमल में लाया। इसके बाद भारत सरकार के प्रोत्साहन पर तमाम राज्यों ने इसे अपना कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग केआई टी आई + इंटरमीडिएट छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। संबंधित प्रस्ताव झारखंड के लिए भी दो-दो बार प्रयास के बावजूद अब तक प्रतिष्ठा के लिए जैक बोर्ड के पास पड़ा हुआ है। ऐसे में हर वर्ष इससे बड़ी संख्या में झारखंड के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ती है। महत्वपूर्ण बात यह है की सरकारी तो छोड़ दे निजी आईटीआई भी इसके लिए भरपूर प्रयास कर चुकी है लेकिन झारखंड सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती। झारखंड में भाजपा के शासनकाल निजी आईटीआई संगठन की पहल पर कोशिश करने के बाद संबंधित प्रस्ताव श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद शिक्षा विभाग में अनुमति के लिए जो गया वह अब तक बाहर नहीं आ पाया है । इसके लिए लंबी लड़ाई आखिर कब तक झारखंड में पूरी होगी यह एक बड़ा और गंभीर प्रश्न है। जिसका जवाब वर्तमान में शिक्षा विभाग दे रहा है और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि।
इससे क्या होती है परेशानी :
संबंधित प्रक्रिया लागू न होने से हर वर्ष बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएं रोजगार के दृष्टिकोण से आगे बढ़ने में सक्षम नहीं हो पाते फलतः इसका असर रोजगार के आंकड़ों पर पड़ता है और राष्ट्रीय स्तर पर भी झारखंड रोजगार के क्षेत्र में अपेक्षित आंकड़ा पेश नहीं कर पाता।
इस बारे में निजी आईटीआई संगठन के प्रांतीय महासचिव कुमार देव रंजन से जब बात की गई तो उन्होंने भी इसके प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि झारखंड सरकार इस मामले में चुकी दिलचस्पी नहीं ले रही है। यही वजह है कि मामला अब तक ठंडे बस्ते में पड़ा है।
क्या कहतें हैं उपनिदेशक :
इस मामले में उपनिदेशक (प्रशिक्षण )देवेंद्र प्रसाद ने भी स्वीकारा की यह प्रक्रिया आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आई टी आई + इंटरमीडिएटछात्र छात्राओं के लिए काफी उपयोगी है। लेकिन लम्बे समय से इसका फ़ाइल कार्मिक विभाग में हस्ताक्षर के लिए पड़ा हुआ है। मैने भी अपनी ओर से इसके लिए भरपूर प्रयास की है। जो भी हो संबंधित मामला का लटके रहना श्रेयकर नहीं है। इधर इस मामले में शिक्षा विभाग के कई उच्च अधिकारियों से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन संबंधित मामले में या तो उन्हें पूर्ण रूप से जानकारी नहीं थी या जवाब देने में सक्षम नहीं थें। उल्लेखनीय है कि झारखंड में भाजपा के शासनकाल में यह मामला ठीक-ठाक आगे बढ़ रहा था पर जब से हेमंत सरकार आई है संबंधित मामला पिछले 8 साल से प्रतीक्षा की बाट जो रहा है।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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