Date: 25/10/2025 Saturday ABOUT US ADVERTISE WITH US Contact Us

बिहार विस चुनाव: विपक्षी गठबंधन में जेएमएम और लोजपा(पशुपति) के जुड़ने से बढ़ी चुनौतियां

9/8/2025 7:10:43 PM IST

102
कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
New Delhi : जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन – दोनों खेमों में सीट बंटवारे की कवायद तेज हो गई है। एनडीए में जहां चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की मांगों से बातचीत कठिन हो रही है, वहीं विपक्षी महागठबंधन में अब दो और दल जुड़ गए हैं – झारखंड मुक्ति मोर्चा (हेमंत सोरेन) और लोजपा (पशुपति पारस गुट)। महागठबंधन में पहले से ही राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और वीआईपी मौजूद थे। अब झामुमो और पारस गुट के जुड़ने से दलों की संख्या 8 हो गई है। यानी अब राज्य की 243 विधानसभा सीटों का बंटवारा आठ पार्टियों के बीच करना होगा, जो सहमति तक पहुँचना और भी कठिन बना देगा।वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने इस बार 50 सीटें और डिप्टी सीएम पद की मांग कर दी है। साथ ही उनकी इच्छा है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और उन्हें उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सहनी को 20–25 सीटों से ज़्यादा मिलने की संभावना नहीं है, क्योंकि पिछली बार वे 11 सीटों पर लड़े थे और सिर्फ 4 जीत पाए थे। कांग्रेस को भी इस बार 70 की जगह 50-60 सीटों के अंदर संतोष करना पड़ सकता है, बशर्ते सीटें “विजयी संभावना” वाली हों। वहीं, भाकपा (माले) अपनी बेहतर जीत दर यानी पिछली बार बेहतर स्ट्राइक रेट को देखते हुए ज़्यादा सीटों की मांग कर रही है। महागठबंधन का कुनबा बढ़ा जरूर है, लेकिन सीटों के बंटवारे का गणित और कठिन हो गया है। तेजस्वी यादव के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती होगी – सभी दलों को साधकर चुनाव मैदान में उतरना।
पशुपति पारस को उनके गढ़ खगड़िया अलौली और हाजीपुर सीटें दी जा सकती हैं। वे अलौली से कई बार विधायक रहे हैं। माना जा रहा है कि पारस गुट को 2–3 सीटें मिल सकती हैं, जिन पर वे और उनके बेटे चुनाव लड़ेंगे। महागठबंधन की कोशिश है कि पासवान वोटों में बंटवारा कराया जा सके। बता दें कि पशुपतिनाथ पारस स्वर्गीय रामविलास पासवान की छोटे भाई हैं। रामविलास पासवान के बाद छोटे भाई और बेटे मौजूदा केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच तकरार में पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न पशुपतिनाथ पारस के पास आया था। वे भाजपा के साथ थे। केंद्रीय मंत्री रहे। अब बदली परिस्थित में वे विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए हैं।
झारखंड में राजद और कांग्रेस हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झामुमो सरकार का हिस्सा हैं, इसलिए बिहार में भी झामुमो को कुछ सीटें दी जाएंगी। झारखंड बिहार की सीमावर्ती सीट बांका, मुंगेर और भागलपुर जैसे झारखंड सीमा से सटे इलाकों में झामुमो को उम्मीदवार उतारने का मौका मिल सकता है।कांग्रेस ने साफ कहा है कि सभी दलों को अपनी सीटें छोड़कर आपसी तालमेल बनाना होगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि त्याग और समायोजन के बिना गठबंधन मज़बूत नहीं हो सकता। इस बार के चुनाव में कांग्रेस में स्पष्ट कह दिया है कि ज़्यादा से ज़्यादा स्थानीय दलों के साथ चुनाव लड़ा जाएगा चाहे उन्हें अपने हिस्से की सीटों में से कुछ सीट साथी दलों को देना पड़ जाए।
 
 कोयलांचल लाइव डेस्क