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किसके सिर चढ़ेगा सरकार की ताज, सीट बंटवारे पर मौन क्यों ?
बिहार विधानसभा चुनाव में वोट कटवा की होगी इस बार महत्वपूर्ण भूमिका
10/7/2025 3:47:05 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Patna :
बिहार विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका मुख्य रूप से दो राजनीतिक दल गठबंधन का है वह है "एनडीए" तथा" इंडिया" गठबंधन । चुनाव आयोग ने तिथि की घोषणा कर दी लेकिन ये दोनों गठबंधन सीट बंटवारे के मुद्दे पर अब तक टकटकी लगाए हैं। इसकी एक की मुख्य वजह सामने दिखाई पड़ती है कि दोनों को डर है की सीट बंटवारे की घोषणा पर असंतोष को लेकर घटक दल कहीं विरोध में बागी न बन जायें। बरना गठबंधन को चलाना मुश्किल हो जाएगा। जदयू से टूट कर बने प्रशांत किशोर इस बार सबसे बड़ा "वोट कटवा" की भूमिका की भूमिका में है। और इनका चुनाव परिणाम किसको लाभ और किसको क्षति पहुंचाएगा यह अब तक असमंजस में है। इस बार विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आ रही है कि जितना दिलेरी के साथ "इंडिया" गठबंधन के मुख्य दल राष्ट्रीय जनता दल अर्थात (राजद )ने पिछले चुनाव में सीट लिया था इस बार स्थिति भिन्न हो सकती है। क्योंकि ओवैसी इस बार उनकी खेल बिगाड़ने के लिए कमर कस चुकें हैं। अर्थात उनका उद्देश्य है राजद का मुख्य समीकरण एम वाई अर्थात मुस्लिम यादव को हर हाल में फेल कर देना । और यह अगर फेल हुआ तो राष्ट्रीय जनता दल को इस बार करारी मात मिलेगी। अर्थात जितना नुकसान प्रशांत किशोर जदयू को पहुंचाएंगे उससे तनिक भी कम नहीं ओवैसी तेजस्वी यादव को पहुंचा देंगे। यहां एक महत्वपूर्ण बात यह भी है इस बार चुनाव मैदान में बागी घटक दल खेल को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे । जिसका भय जदयू और राजद दोनों को हीं है। अर्थात इस बार सीट का अंतर केवल जदयू और राजद के बीच महत्वपूर्ण हीं नही बल्कि सरकार बनाने और बिगाड़ने वाली होगी। एक मुख्य घटक दल लोजपा (रामविलास) भी है जिसे इस चुनाव में एक मुख्य गेम प्ले करना है ।वह गेम नीतीश और तेजस्वी दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जहां तक भाजपा की बात है तो भाजपा के स्ट्राइक रेट इस बार और भी भाग सकता है क्योंकि उसकी चाल जातिगत से हटकर विकास मद से होती है और आगे भी होती रहेगी। बीजेपी कभी भी चेहरे की राजनीति नहीं करती । आज सम्राट चौधरी है तो हो सकता है कि कल कोई और चौधरी मुखिया बनकर भाजपा को हाथ थाम ले। अर्थात बिहार ही नहीं किसी भी चुनाव में भाजपा के मतदाता ऐसे होते हैं जो किसी और के पक्ष में मतदान नहीं कर सकते वह हमेशा ही भाजपा को ही करेंगे। इसलिए इस चुनाव में भाजपा की उछल कूद अन्य की तुलना में स्थिर है। अर्थात भाजपा के मतदाता साइलेंट है उनकी मौन चुप्पी का राज परिणाम में ही दिखाई पड़ेगा। ऐसे में समीक्षात्मक स्थिति में इस बार बिहार में सरकार का दाव सहज समझने लायक नहीं। देर से ही सही गठबंधन को जल्द ही सीट बंटवारे का राज खोलने होंगे तभी वह चुनावी समर में अभियान चला पाएंगें ।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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