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बिहार में विस चुनाव को लेकर दोनों गठबंधन में सीट बंटवारे पर घमासान जनता तराजू लेकर तैयार
 

10/8/2025 4:46:05 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग  द्वारा तिथि  घोषित करने के बाद सीट बंटवारे को लेकर दोनों मुख्य गठबंधन में उफान मची हुई है। हालांकि यह स्थिति दोनों गठबंधन एनडीए और इंडिया में बराबर की है। लेकिन सर्वेक्षण आधार पर जो स्थिति सामने आई है वह यह है की एनडीए से अधिक पेंच इंडिया गठबंधन में है। एनडीए में एक मुख्य घटक दल लोजपा (रामविलास) की ओर से पेंच अधिक फंसायी जा  रही है। क्योंकि उन्हें लड़ने के लिए 40 सीट चाहिए लेकिन गठबंधन की सामंजस्यता बनाये रखने के लिए उन्हें मात्र 25 सीट देने पर गठबंधन तैयार है । इस पर फिल्हाल उन्हें असहमति है। लेकिन यह और सहमति सिर्फ "एनडीए" में ही नहीं "इंडिया" गठबंधन में भी बराबर की है  या यूं कहे की कुछ बढ़कर ही है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। "इंडिया" गठबंधन में तो मुख्यमंत्री के चेहरे पर राजद की निर्णय से कांग्रेस भी सहमत नहीं है। लेकिन यहां गौरतलब स्थिति यह है कि पिछले चुनाव में पेंच फसाने वाली कांग्रेस कितनी सफलता अर्जित कर पायी थी और गठबंधन उसे कितना तबज्जो देती है। मौजूदा स्थिति में सीट मांगना राजनीतिक दलों की वाजिब मांग है। देना या न देना गठबंधन पर निर्भर है। यहां यह बताना जरूरी है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल एक ऐसी मजबूर पार्टी है जो अपना दावा  दबाव के साथ नहीं कर सकती। इसकी एक वजह यह है कि न्यायिक प्रक्रिया में बंधे लालू प्रसाद यादव के कारण उनका दल बदनाम हो चुकी है । ऊपर से ओवैसी चुनावी सभा करके उनके एम -वाई (मुस्लिम- यादव )योजना के तहत  सीट मैट्रिक्स को और भी खराब कर रहे हैं । इसका प्रतिकूल असर चुनाव परिणाम में राजद की सीट मैट्रिक्स पर पड़ना तय है। और ऐसा हुआ तो जदयू से ज्यादा नुकसान राजद को हो सकती है। इसलिए आग दोनों गठबंधन में बराबर की लगी है। ऐसे में सीट बंटवारे की घोषणा दोनों ही गठबंधन बचकर और फूंक फूंक कर कदम रखना चाहते हैं। क्योंकि  तनिक भी चूक चुनाव परिणाम पर बड़ा असर डालेगी। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की स्थिति यह है कि वह बिहार में अपनी दबाव के साथ दावा पेश नहीं कर सकती।  क्योंकि  सत्ता में रहने के दौरान उसके कुशासन का हिसाब जनता या उनके अपने जाति के लोग भी करते हैं तो अपेक्षित फायदा नहीं दिखती है । और मौजूदा समय में बिहार का एक गरीब निरक्षर भी सोच समझ कर मतदान करना चाहता है और किसी भी झांसे में नहीं आना चाहता है। खासकर उससे जो एक बार दगा दे चुका हो। बिहार में लालू सरकार में अपराध और भ्रष्टाचार का ग्राफ सबूती तौर पर बिहार की जनता अब तक भूली नहीं है। मतदाता की बात छोड़ दे उनके अपनी  पार्टी के लोग भी उक्त कुशासन की तस्वीर देख चुके हैं और उसे फिर अपनाने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अगर यह कहे कि एक तरफ चुनाव लड़ने के लिए दोनों गठबंधन के राजनीतिक दल तैयार है तो दूसरी ओर जनता अर्थात मतदाता तराजू लेकर मापने की तैयारी में है। अब देखना है कि इस स्थिति में बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामी ऊंट किस करवट बैठता है। ऊंट चाहे जिस करवट बैठ लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में तहलका मचा दी है सभी उंगली पर हिसाब लगाने में व्यस्त है।
 
 
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क