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एम वाई का वाई एम बनना किसके लिए फायदेमंद किसके लिए नुकसानदेह ?
0 नाम वापसी की प्रक्रिया समाप्त अब चुनावी युद्ध की तैयारी
10/31/2025 3:27:35 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Patna :
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार मुसलमान का मतदान महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा । इसकी एक महत्वपूर्ण स्थिति यह भी है कि कभी राजनीति में चलने वाला एम वाई (मुस्लिम -यादव )बदलकर वाई एम (यादव -मुस्लिम) आम हो गयी है जो किसके लिए फायदेमंद और किसके लिए नुकसानदेह बनेगा और उसकी चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अन्य जातियों की तरह अब यादव भी यह मानसिकता रखते हैं कि उनकी जाति का प्रतिनिधित्व विधानसभा में अधिक हो अर्थात उनके जाति के विधायक जीतकर अधिक विधानसभा में जायें। स्वाभाविक रूप से मुसलमान का मतदान एनडीए के पक्ष में आमतौर पर नहीं पड़ती है । लेकिन मुसलमान इस बात पर गोलबंद हो रहे हैं कि इस बार हर हालत में भाजपा का प्रभावित मुख्यमंत्री नहीं आने देना है। इसके लिए उनकी आपसी को जोड़ घटाओ शुरू हो चुकी है। एक बात यह भी सामने आई है कि अब मुसलमान लालू या तेजस्वी यादव का गुलाम बनकर या बंधुआ बनकर मतदान करने के पक्ष में नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि मुसलमान भी अन्य जातियों की तरह इस बार भाजपा के प्रभाव को रोकने के लिए मतदान करने का मन बना चुकें हैं । ऐसे में यह मतदान सीमांचल क्षेत्र में काफी रोचक और महत्वपूर्ण होगी दूसरी तरफ ऐसा मतदान महागठबंधन के लिए खतरनाक और नुकसान पहुंचाने वाला साबित होगा यह तय है। इधर एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर विवाद अब सिमट चुकी है अर्थात अब एनडीए में गठबंधन दल में मतभेद की भूमिका समाप्त हो चुकी है। ऐसे में अब एनडीए गठबंधन दलों में किसी को किसी से कोई नुकसान की स्थिति दिखाई नहीं पड़ती जो की एनडीए के लिए एक सकारात्मक संकेत है। राजनीति में अक्सर दुश्मन और दुश्मन आपस में दोस्त बनकर परिणाम दिखाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ले देकर अगर यह कहा जाय कि एक बार फिर से बिहार में एनडीए की वापसी के प्रबल संकेत है तो कोई बेमानी नहीं होगी।
दूसरी ओर महागठबंधन भाजपा सहित नीतिश सरकार को रोकने के लिए हर वह कदम उठाने के लिए तैयार है। लेकिन उसके परिणाम अच्छे संकेत नहीं दिखते क्योंकि उनमें आपसी सहमति भी अब तक नहीं बन पायी है जो उनके लिए बेहद नुकसानदेह है। एक बात यह भी सामने आ रही है की प्रशांत किशोर का चुनाव मैदान में उतरना एनडीए के बजाय इंडिया गठबंधन के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकती है हालांकि यह सब अब तक केवल अटकलें हैं हकीकत तो चुनाव परिणाम में हीं दिखाई पड़ेगा।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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