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हार्ट के मरीजों को बढ़ते पोल्युशन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए !

11/1/2025 3:27:28 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
बढ़ता एयर पोल्युशन आज देश-दुनिया दोनों के लिए सबसे बड़ा हेल्थ थ्रेट बन चुका है. सर्दियों में तापमान गिरने, हवा भारी होने और धुएं-धूल के कणों के जमीन के पास जमा हो जाने से AQI और भी खराब हो जाता है. ट्रैफिक, फायर क्रैकर्स, फैक्ट्री स्मोक और कचरा जलाने जैसी एक्टिविटी इसे और तेज कर देती हैं. हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे कण इतने महीन होते हैं कि सांस के साथ सीधे फेफड़ों और ब्लड स्ट्रीम तक पहुंच जाते हैं. यहां आकर ये इंफ्लेमेशन, ब्लड वेसल्स पर स्ट्रेस और ऑक्सीडेटिव डैमेज बढ़ाते हैं. इस वजह से पहले से हार्ट प्रॉब्लम झेल रहे लोगों में ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने, हार्ट रेट में उतार-चढ़ाव और कार्डियक कॉम्प्लिकेशन का रिस्क और भारी हो जाता है। 
 
पोल्युशन का असर सीधा कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर पड़ता है. जहरीले कणों से आर्टरीज में सूजन बढ़ती है, जिस कारण हार्ट पंपिंग की एफिशियंसी कम हो सकती है. हाई ब्लड प्रेशर, पल्स में असामान्यता, चेस्ट टाइटनेस और सांस फूलना जैसी दिक्कतें सामान्य से कहीं ज्यादा जल्दी ट्रिगर हो सकती हैं. जिन लोगों में पहले से ब्लॉकेज, एंजाइना, HF या अरिदमिक प्रॉब्लम मौजूद है, उनमें एयर पोल्युशन एक्सपोजर अचानक अटैक या हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ा देता है. इसके अलावा, नींद खराब होना, बार-बार थकान, सिरदर्द और एंग्जायटी भी हार्ट स्ट्रेन बढ़ाते हैं. मतलब, प्रदूषित हवा सिर्फ फेफड़ों पर नहीं, सीधे हार्ट पर असर डालती है और खतरा साइलेंटली बढ़ा देती है। 
 
बढ़ते प्रदूषण में हार्ट के मरीज कैसे देखभाल करें?
राजीव गांधी हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में डॉ. अजीत जैन बताते हैं किसबसे जरूरी है कि स्मॉग वाले दिनों में बाहर कम जाएं. सुबह-शाम की वॉक घर के अंदर करें या फिर जब AQI थोड़ा बेहतर हो तभी बाहर निकलें. AQI चेक करते रहें, बाहर जाएं तो N95/N99 मास्क लगाएं और ज्यादा ट्रैफिक वाली जगहों से दूरी बनाकर रखना मददगार है. घर में एयर प्यूरीफायर यूज़ कर सकते हैं और बीच-बीच में खिड़कियां खोलकर थोड़ी हवा अंदर ज़रूर आने दें. साथ ही रोज़ अपनी सैचूरेशन, BP, हार्ट रेट और दिनभर की फीलिंग्स/पैटर्न पर ध्यान रखें. घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और बीच-बीच में खिड़कियां खोलकर थोड़ी हवा अंदर जरूर आने दें। 
 
साथ ही, रोज अपनी सैचूरेशन, BP, हार्ट रेट और रोज के पैटर्न पर ध्यान दें. अगर चेस्ट में दबाव, तेज धड़कन, असहजता, पसीना, सांस फूलना या अचानक थकावट महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से कॉन्टैक्ट करें. दवाएं समय पर लें, नमक, तला हुआ व प्रोसेस्ड फूड कम करें, पानी पर्याप्त पिएं और नींद का रूटीन स्ट्रिक्ट बनाएं. देर रात तक जागना या अचानक स्ट्रेन बढ़ाना दिल पर और दबाव डाल सकता है. प्रदूषण पहले ही दिल पर स्ट्रेस डाल रहा है इसलिए बाकी फैक्टर्स को कंट्रोल रखना और भी ज़रूरी हो जाता है। 
 
ये भी जरूरी
स्मोकिंग बिल्कुल बंद करें.
 
इमरजेंसी मेडिसिन हमेशा साथ रखें.
 
स्ट्रेस मैनेजमेंट करें.
 
फिजिकल एक्टिविटी कम मत करें, बस इसे स्मार्ट तरीके से करें यानी इनडोर वर्कआउट करें या फिर वही टाइम चुनें जब AQI बेहतर हो। 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क