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समाज में ब्राह्मणों का गिरता स्तर
 

1/22/2025 11:45:09 AM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad : प्राचीन काल से ही ब्राह्मण समाज को राह दिखने वाले, समाज की दशा और दिशा बदलने वाले माने जाते रहे हैं जैसे कौटिल्य आदि ब्राह्मण। उनका शौर्य और व्यक्तित्व ही अलग था, जो निःस्वार्थ भाव से अपने देश के कल्याण के लिए कार्य करते थे तथा अपने शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य को उचित शिक्षा देकर, देश का इतिहास ही बदल डाला। आज भी उन्हें सरकारी नौकरियों में कोई आरक्षण नहीं, क्योंकि सभी को पता हैं कि वो अपनी प्रतिभा और आत्मविश्वास से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। 
किन्तु आज के ब्राह्मणों का स्तर गिरता ही जा रहा हैं, न उनमे साहस हैं न शौर्य हैं और अहंकार तो इतना की आसमान छोटा पड़ जाए। ब्राह्मण का अर्थ होता हैं जो ब्रह्म को जाने (परम चेतना ), ब्रह्म को जानना तो दूर की बात, वह खुद को भी नहीं जनता। वर्तमान में बदलते परिवेश के कारण उसने अपने सच्चे चरित्र को छोड़ दिया हैं और सर्वथा चरित्रहीन हो गया हैं, आपको बता दें कि यहाँ चरित्रहीनता का अर्थ अवैध सम्बन्ध ही नहीं होता बल्कि बेईमानी, झूठ, कपट, दम्भ आदि भी होता हैं। आज के ब्राह्मणों में ये सारे गुण कूट -कूट कर भरा हैं। सबसे बड़ी चीज़ की उनमे मानवता ही नहीं बची हैं। वे अपने ब्राह्मण होने के मद में ही चूर हैं और एक दूसरे की निंदा और शिकायत में ही लगे रहते हैं इसलिए विकास नहीं कर पा रहे और समाज में हंसी का पात्र बन रहे। 
 
हम यही आशा करते हैं कि ब्राह्मण अपना इतिहास पढ़े और अपने असली व्यक्तित्व को पहचाने जो बिना किसी दम्भ का भार ढ़ोते हुए अपने और अपने समाज के लिए कुछ कर सके और फिर से अपने ब्राह्मणत्व को प्राप्त हो।
 
 
रितम्भरा मिश्रा कोयलांचल लाइव डेस्क