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केंद्र का ग्रांट रुकने से नगरीय क्षेत्र में विकास काम रुके, 48 नगर निकायों का चुनाव पर हाई कोर्ट शख्त 

7/27/2025 4:09:01 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Ranchi  : झारखंड में ट्रिपल टेस्ट के पेंच में उलझा 48 नगर निकायों का चुनाव अब शीघ्र होने की उम्मीद जगी है। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण तय नहीं होने से अभी तक नगर निकाय चुनाव नहीं हो पा रहा था। हाल ही में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाने से अब इस प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। हालांकि, अभी झारखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद भी अभी खाली है। चुनाव कार्यों के समुचित संचालन के लिए इस पद पर भी किसी का रहना जरूरी था। उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए सभी जिलों में सर्वेक्षण करा लिया है। अभी इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। आयोग में अध्यक्ष के पद रिक्त होने से ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया में तेजी नहीं आ पा रही थी। निकाय चुनाव होने से जहां जनता से जुड़े कार्यों में तेजी आएगी, वहीं केंद्र सरकार की ओर से रोका जा रहा अनुदान भी जारी हो सकेगा। केंद्र का ग्रांट रुकने से नगरीय क्षेत्र में विकास के काम रुके हुए हैं।
 
निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज :
 
झारखंड में हाल के दिनों में निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हुई है। कांग्रेस ने दलीय आधार पर चुनाव कराने की मांग रखी है। वहीं, भाजपा ने सरकार पर जान-बूझकर चुनाव में देर कराने का आरोप लगाया है। उधर सरकार ने शीघ्र चुनाव कराए जाने की बात कही है। इस मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
 
हाई कोर्ट ने रुख किया कड़ा :
 
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नगर निकाय चुनाव करवाने के लिए झारखंड सरकार को चार महीने का समय देते हुई मई तक इसे संपन्न करा लेने को कहा था, लेकिन ट्रिपल टेस्ट सर्वे पूरा नहीं हो पाने व अन्य तैयारियों के अभाव में इस आदेश का पालन नहीं हो सका। ऐसा करके हेमंत सरकार रूल ऑफ़ लॉ की गला घोट रही है।   13 जनवरी को याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य में नगर निकाय चुनाव नहीं कराए जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था यह अवमानना का मामला प्रतीत होता है। राज्य की सरकार नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया के नाम पर चुनाव नहीं रोक सकती है। कोर्ट में भी सरकार ने शीघ्र चुनाव कराने का संकल्प व्यक्त किया है। झारखंड राज्य पिछड़ा आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के मनोनयन के बाद अब संभावना बन रही है कि यदि कोई अड़चन नहीं आई तो इस साल के अंत तक निकाय चुनाव हो जाएंगे। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब माँगा है।  
 
कब तक होंगे निकाय चुनाव ? :
 
पिछले दिनों 16वें वित्त आयोग की टीम झारखंड के चार दिन के दौरे पर आई थी। आयोग के अध्यक्ष ने साफ-साफ कहा कि राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराए उसके बाद ही बकाया का भुगतान होगा।उन्होंने यह भी कहा था कि अगर दिसंबर तक राज्य सरकार निकायों का चुनाव करा लेती है तो पिछले वित्तीय वर्ष की बकाया राशि भी मिल जाएगी। चुनाव न होने से 15वें वित्त आयोग के अनुदान की राशि भी नहीं मिल पाई है। चुनाव नहीं होने से केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ रुपये का भुगतान रोक कर रखा है। ऐसे में सबकुछ ठीक रहा तो इस वर्ष के अंत तक ये चुनाव संपन्न हो सकते हैं।
 
सर्वे पर भी उठे सवाल :
 
झारखंड में ट्रिपल टेस्ट सर्वे की प्रक्रिया पर भी सवाल उठे हैं। राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया था कि ट्रिपल टेस्ट के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है। जातिवार सही संख्या स्पष्ट नहीं होने से चुनाव में आरक्षण सही तरीके से तय हो पाना मुश्किल होगा। पिछले दिनों उन्होंने सवाल उठाया था कि जिस तरीके से यह सर्वेक्षण किया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है। मोर्चा न केवल इसका विरोध करेगा, बल्कि अध्यक्ष का मनोनयन किए बगैर इस तरह की रिपोर्ट की प्रक्रिया स्वीकार नहीं की जाएगी। हालांकि, अब अध्यक्ष पद और सदस्य का राज्य सरकार ने मनोनयन कर दिया है। इससे चुनाव कराने की राह आसान होगी। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाती रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा था कि जब राज्य निर्वाचन आयोग में आयुक्त ही नहीं हैं तो चुनाव कैसे और कौन कराएगा। उधर, सत्ताधारी दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने दावा किया कि जल्द ही निकाय चुनाव कराए जाएंगे। अब देखना होगा कि कब तक ये चुनाव संपन्न हो सकते हैं।
 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क