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कोर्ट में संजीव को फंसाने के लिए कैसे कैसे रखा गया झूठों का पुलिंदा  

8/28/2025 4:43:41 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad  : नीरज हत्याकांड मामले में अदालत से बरी हुए झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह की अर्जी पर धनबाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा आदेश पारित किया है। विशेष न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी की अदालत ने कांड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी और मुकदमे का संचालन करने वाले अपर लोक अभियोजक (एपीपी) सत्येंद्र राय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। संजीव सिंह के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर तय की है। 20 अगस्त 2025 को संजीव सिंह ने अदालत में आवेदन दायर कर अनुसंधानकर्ता और एपीपी पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें सज़ा दिलाने की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया था।
 
क्या है आरोप :
 
अर्जी में कहा गया कि अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी और एपीपी सत्येंद्र राय ने सूचक अभिषेक सिंह के साथ मिलकर फर्जी सबूत गढ़े और अदालत को गुमराह किया।आदित्य राज के मोबाइल का झूठा सीडीआर तैयार कर केस डायरी और कोर्ट में पेश किया गया। 13 अगस्त 2025 को संजीव सिंह के मोबाइल का फर्जी दो पन्ने का सीडीआर भी दाखिल किया गया, जिसे गलत तरीके से प्रदर्श 16/4 बताकर अदालत में रखा गया।जबकि असली प्रदर्श 16/4 नोडल ऑफिसर की ओर से प्रमाणित दस्तावेज था, जिसमें यह साबित हुआ कि 15 मार्च 2017 से 23 मार्च 2017 तक आदित्य राज गिरिडीह में मौजूद था।
 
अदालत में रखी गई दलीलें :
 
अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कहा कि अभियोजन पक्ष का काम न्यायालय को निष्पक्ष रूप से सहयोग करना होता है, न कि किसी भी कीमत पर अभियुक्त को सजा दिलाना। लेकिन इस मामले में अनुसंधानकर्ता और एपीपी ने झूठे सबूत गढ़कर संजीव सिंह को फंसाने की कोशिश की। अदालत के फैसले से भी यह साबित हो चुका है कि आदित्य राज को फर्जी तरीके से चश्मदीद गवाह बनाया गया था और उसका कॉल डिटेल भी झूठा पेश किया गया था। संजीव सिंह की अर्जी पर अदालत ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 230 और 231 के तहत कार्रवाई योग्य मामला पाते हुए अनुसंधानकर्ता और एपीपी को नोटिस जारी किया है।
 
 
कोयलांचल लाइव डेस्क