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आज भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राम मोहन राय का जन्म शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है
23-05-2022
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
कोलकाता: राजा राममोहन रॉय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। कोलकाता सहित भारत के अलग-अलग हिस्सों में उनका जन्म शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है।
आजादी के महोत्सव कार्यक्रम के तहत कोलकाता के साल्टलेक स्थित राजा राममोहन राय लाईब्रेरी फाउंडेशन और प्रसिद्ध साइंस सिटी अॉडिटोरियम में इस्टर्न जोनल कल्चर सेंटर और और भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया जिसमें पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनकर , उत्तर पूर्व क्षेत्र के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के मंत्री किशन रेड्डी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर राजा राममोहन राय की एक आदमकद प्रतिमा का लाईब्रेरी परिसर में अनावरण भी किया गया। कोलकाता म आयोजित अन्य समारोहों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भाग लिया और राममोहन राय को उनकी 250वीं जयंती पर श्रद्धांसुमन अर्पित की।
आपको बता दें कि सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में राममोहन राय का विशिष्ट योगदान है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। भारत की स्वतंत्रता लड़ाई के अलावा वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे जो एक लड़ाई उनकी अपने ही देश के नागरिकों से थी। जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे, राजा राममोहन रॉय ने उन्हें जागरूक करने का काम किया।सतीप्रथा, बाल-विवाह, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया।राजा राम मोहन रॉय सतीप्रथा जैसी सामाजिक बुराइ के उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
18वीं शताब्दी में सती प्रथा ने जोर पकड़ लिया था। महिलाओं के खिलाफ इस अमानवीय कूप्रथा को कुछ परंपरावादी ब्राह्मण प्रोत्साहन दे रहे थे। राजा राममोहन राय सती प्रथा का विरोध करने के लिए इग्लैंड तक गए थे। बाद में उनके प्रयास और आन्दोलन के कारण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को कानून बनाना पड़ा और तब जाकर सती प्रथा बंद हो सका।
कोयलांचल लाइव की ओर से भारत के इस महापुरुष को उनके जन्म शताब्दी पर शत -शत नमन।
कोयलांचल लाइव डेस्क
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