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एक ऐसा गांव जहा दहेज मांगने पर शादी नहीं करते

2/2/2025 4:10:14 PM IST

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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Aurangabad : औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के दक्षिणी उमंगा पहाड़ पर बंसे काफी संख्या में भोक्ता समाज के लोग निवास करते हैं। भोक्ता समाज के बेटियों की विवाह बिना दहेज की होती है। अगर कोई लड़के वाले दहेज चुपके से लड़की वालों से ले लेते हैं तो उसके परिवार में अन्य सदस्यों के साथ भोक्ता समाज के लड़की वाले शादी नहीं करते हैं। मदनपुर थाना क्षेत्र के लंगूराही गांव निवासी जमाहिर सिंह भोक्ता ने बताया कि पूर्वजों से ही हम लोगों की समाज में ना दहेज लेने एवं ना दहेज देने की प्रथा चल रही है। वर-वधू की योग्यता के अनुसार होती है शादी। जमाहिर सिंह भोक्ता ने बताया कि यहाँ दहेज़ नहीं लेते, भोक्ता समाज के अधिकांश लोग गरीब तबके के लोग होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर एक भोक्ता समाज के परिवार में चार पुत्री जन्म ले लेती है तो दहेज कहां से दे पायेंगे ? इसलिए हमारे समाज में पूर्वजों से ही, ना दहेज लेने एवं ना दहेज देने की प्रथा चल रही है। हमारे समाज में वर वधू की योग्यता पर दोनों का विवाह होता है। अधिकांश जगहों पर परिवार वालों की बात विचार होने के बाद लड़के (वर) लड़की (वधू) को देखने जाते हैं। दोनों की योग्यता एवं गुण मिलने के बाद शादी कराई जाती है। इसके बाद खुशी के अनुसार शादी के कुछ माह बाद बिना लड़के वाले के मांगे हुए, अपनी आर्थिक अवस्था को देखते हुए लड़की वाले अपनी पुत्री को उपहार देते हैं। इसमें वर पक्ष से किसी प्रकार की मांग नहीं की जाती। ये उपहार दे भी सकते या फिर नहीं भी दे सकते हैं। कोई भी दबाव लड़के पक्ष की ओर से नहीं दिया जाता। भोक्ता समाज में अगर दहेज लेते हैं तो लड़की वाले नहीं करते हैं शादी। जमाहिर सिंह भोक्ता एवं सुदाम सिंह भोक्ता ने बताया कि अगर कोई लड़का वाला दहेज लेकर शादी कर लेता है तो उसके अन्य परिवार के सदस्य से भोक्ता समाज की लड़की का विवाह नहीं होता है। अगर कोई लड़का नौकरी वाला है तो उसके योग्यता के अनुसार शिक्षित लड़की के साथ ही शादी होती है लेकिन दहेज नहीं दिया जाता है। मुन्नी देवी ने बताया कि हम लोग गरीब परिवार से आते हैं इसलिए हमारे पुरखों द्वारा बनाए गए प्रथा पर ही हमारे समाज की लड़कियों की शादी होती है। लड़की वाले लड़के वाले के घर जाते हैं एवं कुछ लड़के वाले लड़की वाले के घर भी आते हैं दोनों की योग्यता के अनुसार शादी कराई जाती है। हमलोग दहेज प्रथा का विरोध करते हैं। नव विवाहिता सीता देवी ने बताया  कि भोक्ता समाज आर्थिक रूप से कमजोर समाज होता है। इन्होंने कहा कि हम लोग दहेज प्रथा का विरोध करते हैं। सीता देवी ने बताया कि भोक्ता समाज में लड़कियां बहुत कम शिक्षित हो पा रही हैं। अगर आसपास में सरकारी विद्यालय हो तो भोक्ता समाज की लड़कियां भी शिक्षित होंगी, हालांकि जानकारी दे दे की लंगूराही गांव के पहाड़ से करीब 5 से 6 किलोमीटर के दूरी पर पास के गांव में ही सरकारी विद्यालय है फिर भी यहां की बेटियां बहुत कम ही शिक्षित हो पाई हैं। 
बिहार में दहेज प्रथा को लेकर कई कानून बनाए गए हैं। दहेज प्रथा को रोकने के लिए दहेज देने और लेने वाले दोनों को ही अपराधी माना गया है। ऐसे में सरकार के सपनों को साकार करते हुए औरंगाबाद के भोक्ता समाज के लोग दिख रहे हैं, जो कि आज के युवाओं के लिए बड़ा सन्देश है कि वे दहेज की पिछड़ी सोच से बाहर निकले। 
 
कोयलांचल लाइव के लिए औरंगाबाद से रुपेश की रिपोर्ट