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निकाय चुनाव पर कोर्ट आदेश की अवहेलना आखिर कब तक होगी ?
8/13/2025 6:52:27 PM IST
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कोयलांचल लाइव डेस्क, Koylachal Live News Team
Dhanbad :
भोजपुरी में कहावत है कि" गांछे कटहल ,होंठे तेल" अर्थात कटहल अभी गांछ में है और
खवईया मुंह में तेल लगाकर बैठे हैं कि कटहल तैयार होगा और खाने मिलेगा यह वाक्या झारखंड में निकाय चुनाव पर बिल्कुल फिट
बैठता है। क्योंकि इससे पहले संबंधित मामले में दलगत आधार नहीं रहा तथा अभी भी इस मामले में कोई भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है लेकिन तमाम राजनीतिक दल मुंह पिजाकर जाकर बैठे हैं। कि निकाय चुनाव में दलगत को आधार बनाकर यह करेंगे वह करेंगे ।
निकाय चुनाव में हो रही विलंब को लेकर निकाय क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि आखिर कब तक निकाय चुनाव के मामले में झारखंड सरकार कोर्ट के आदेश की अवहेलना करती रहेगी ? सवाल सवाल यह है कि इस लोकतंत्र में न्यायपालिका के महत्व क्या है यह जानकारों को बताने की जरूरत नहीं। निकाय चुनाव नहीं होने की वजह चाहे जो भी हो लेकिन उसका होना कितना अनिवार्य है यह आप सहज सोच सकते हैं की विकास के मद में 1600 करोड़ रूपया केंद्र सरकार के पास झारखंड की पड़ी हुई है। अब तो झारखंड हाई कोर्ट भी इस मामले में राज्य सरकार से कह कह थक चुकी है। और मामले में झारखंड सरकार के उच्च अधिकारी झूठ बोल बोल कर एक तकनीकी बात यह भी है कि अगर इसमें अब तक जो भी विलंब हुआ इसके लिए जिम्मेवार कौन है? क्या आदेश देने वाला न्यायाधीश या फिर राज्य सरकार की व्यवस्था। झारखंड सरकार को लुभावने योजनाओं से फुर्सत नहीं कि वह इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान दे सके ठीक है कि वर्तमान में राज्य सरकार के समक्ष कई तहत की बाधाएं भी आती रही। वर्तमान में मुख्यमंत्री खुद ही घरेलू अड़चन में फंसे हुए हैं लेकिन यह अड़चन संबंधित सवाल का जवाब नहीं । अगर मुख्यमंत्री नाभि रहे फिर भी ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लगातार टालने की वजह क्या है? और कब तक यह सब चलता रहेगा कोर्ट की गरिमा का ख्याल आखिर झारखंड सरकार कब रखेगी ? राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति न होने का मुद्दा भी गंभीर है लेकिन इस पर मंथन की जरूरत है तथा इसके लिए राज्य सरकार को दबाव बनाना होगा तभी मामले का कोई निदान निकल सकेगा। अब तो इस मामले में हद पार कर गई है तथा झारखंड सरकार के उच्च अधिकारी संबंधित मामले में सवालों के घेरे में है। विदित हो कि वर्ष 2020 में होने वाले चुनाव के टलते टलते 2025 आ चुकी है। लेकिन संबंधित मुद्दा ले देकर वहीं के वहीं है। राज्य पिछड़ा आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है तथा ट्रिपल टेस्ट का मामला भी बहुत हद तक पूरा हो चुका है अब केवल इस मामले में झारखंड सरकार की इच्छा शक्ति मुख्य मुद्दा है ।
उमेश तिवारी कोयलांचल लाइव डेस्क
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